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Showing posts from April, 2020

आज और अभी से न हम किसी के और न कोई मेरा :)

आज मैं एक बात पर विचार कर रहा था कि अगर आज मैं मर गया या अचानक से मेरी मृत्यु हो गई तो मेरे जीवन के आखिरी समय में मेरे साथ मेरे म्रत्यु के क्षण में कौन हमारे साथ जाएगा? और यही बात आज मैंने अपनी मांजी से भी पूँछी की मांजी अगर आज मेरी म्रत्यु हो गई तो हमारे साथ आपलोग जाओगे  ? तो पहले उन्होंने कहा कि बेटा ऐसी बातें नहीं करते लेक़िन मैने कहा आप एक बार बताओ तो तो उन्होंने कहा कि बेटा कोई किसे के साथ नहीं जाता सभी को अकेले ही जाना पड़ता हैं तो मैंने विचार किया हैं जब हमें जाना ही अकेले हैं मरना ही अकेले है तो फिर इस दुनिया में सिवाय परमात्मा के मेरा  कौन हुआ? तो फिर क्या अर्थ हुआ कि मेरा कौन मित्र हैं? कौन माता पिता हैं? कौन मेरे सगे संबंधी हैं कौन मेरे रिश्तेदार हैं? फिर तो ये सभी दिखाबे के लोग हुए इनका  सिर्फ कहने का ही हैं कि मैं तुम्हारे लिए हूँ तुमसे प्रेम करता हूँ की मैं तुम्हारा मित्र हूँ तुम्हारा पिता हूँ तुम्हारी माँ हूँ कि मैं तुम्हारे बगैरह जी नहीं सकता ? ऐसे झूठे और दिखाबे के लोगों को अपने जीवन से जोड़कर क्या करूंगा जिनका कोई अर्थ ही  नहीं बनता इसलिए ये बात मेरे लिए क

SAKET Talk's ...

https://youtu.be/GyNmQs5ueQ8

समय के साथ हम सभी के एक दूसरे से रिश्ते खत्म हो जाएंगे ...

समय के साथ हम सभी के एक दूसरे से रिश्ते खत्म हो जाएंगे, सिर्फ यह सोचकर कि उसने मुझे याद नहीं किया तो मैं क्यों उसे याद करूं? उसने मुझे फोन नहीं लगाया तो मैं उसे क्यों लगाऊं ?उसने मुझसे बात नहीं की तो मैं क्यों करूं ????? :) जबतक हम लोग अहंकार से भरे है जबतक हमारे भीतर अहंकार जीवित हैं तब तक हमारे अंदर ऐसे ही भाव उठते रहेंगे की  पहले मैं ऐसा क्यों करूँ मैं क्यों उससे पहले बात करूँ मैं कहता हूँ अगर आप पहले कदम आंगे बढ़ाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं हैं कुछ भी गलत नहीं हैं अगर आप किसी व्यक्ति से पहले  दो पल प्रेम से बात करलेंगे तो इसमें क्या गलत हैं अगर हम अपने व्यक्तित्व को थोड़ा सा भी विनम्र बनाना सीख जाएं तो उसी दिन हमारा अहंकार हमेशा के लिए समाप्त हो सकता हैं तिरोहित हो सकता है, लेक़िन नहीं हमलोगों ने  तो कभी झुकना सीखा ही नहीं हमें तो लगता हैं कि हमारी नाक कट जाएगी हमारी बेज्जती हो जाएगी  इसीलिए मैं कहता हूँ पहले हमें समर्पण का भाव सीखना पड़ेगा अपने व्यक्तित्व को विनम्र बनाना पड़ेगा, प्रेमपूर्ण  बनाना पड़ेगा तभी हम अहंकार से सदा के लिए मुक्त हो सकते इससे पहले नहीं लेक

बच्चों को प्रत्येक के प्रति प्रेमपूर्ण होने की शिक्षा दीजिये ;)

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 Photo by Gustavo Fring from pixels  कोई भी अपने छोटे भाई बहन को ऐसी शिक्षा न दे कि तुम मेरा आदर करो सम्मान करो मेरे प्रति प्रेमपूर्ण रहो क्योंकि मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ या तुम्हारा बड़ा भाई हूँ ऐसा करने से आप उस बच्चें  के पूरे व्यक्तित्व में जहर घोल देंगे उसका पूरा जीवन नष्ट करदेंगे क्योंकि फिर वो बच्चा घर में आपके प्रति तो प्रेमपूर्ण होगा, आपके प्रति आदर, सम्मान का भाव रखेगा लेकिन रास्ते पे जो लोग उसे मिलेंगे उनके प्रति क्रोध से भरा रहेगा घ्रणा से भरा रहेगा फिर वो किसी राह चलते किसी राहगीर का सम्मान नहीं कर सकेगा उनके प्रति प्रेम से नहीं भर सकेगा क्योंकि फिर वो सोचेगा की आप हमारे कौन लगते हैं जो मैं तुम्हारा सम्मान करू, तुम्हारा आदर करूं फिर वह बच्चा हर व्यक्ति में पहले संबंध खोजने लगेगा कि तुम मेरे रिश्तेदार हो मेरे भाई हो या मित्र हो इसलिए मैं आज आप सभी से फिर  कहता हूँ अपने बच्चों को प्रत्येक के प्रति प्रेमपूर्ण होने की शिक्षा दीजिये बचपन से ही बच्चें के पूरे व्यक्तित्व को इतना सुंदर बनाओ जिससे बच्चा अपने पूरे व्यक्तित्व के प्रति प्रेम से भर जाए जिससे जीवन में उसे किसी के

माता पिता से कुछ कहना चाहता हूँ :)

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अगर कोई बाप अपने जीवन में  बच्चों के प्रति मित्र की भांति संबंध स्थापित न कर सका उनका मित्र न बन सका तो आज मैं आप से कहता हूँ ऐसा पिता अधिक समय तक बच्चों के साथ न चल सकेगा ऐसे व्यक्ति को पिता कहलाने का कोई अधिकार नहीं ऐसा व्यक्ति पिता बनने योग्य नहीं अगर किसी पिता को आने वाले समय में बच्चों के साथ कदम से  कदम मिलाकर चलना हैं तो उसे  खुद को बाप  न समझकर बच्चों का एक अच्छा साथी बनना होगा  मित्र बनना होगा जिससे बच्चा अपनी हर एक बात उनके साथ बांट सके उनसे सभी प्रकार की बातें कर सके बिना किसी लाज शर्म और जिझक के जहां बाप और बेटे के बीच किसी प्रकार की कोई लाज, शर्म,डर, का कोई स्थान ही  न हो एक पल को महसूस ही न हो कि कोई बाप अपने बेटे से बात कर रहा हैं या बेटा अपने बाप से तब आप देखेंगे बच्चा आपके प्रति अपार सम्मान के भाव से भर जाएगा आपके प्रति आसानी से प्रेमपूर्ण हो सकेगा फिर स्वतः ही आपके प्रति आदर के भाव से भर जाएगा  फिर आपको अपने बच्चों को शिस्टाचार सिखाने की कोई आवश्यकता न रह जाएगी फिर आपको उसे अपने प्रति सम्मान का भाव न सिखाना पड़ेगा ... Saket 💕

लोगों को बिल्कुल गलत दिशा दी जा रही हैं :)

 मुझें बड़ा आश्चर्य होता हैं, फिल्मो में हमेशा स्त्रियों के साथ बलात्कार होते हुए दिखाया जाता हैं, और फिर बाद में कहते हैं कि नारी शक्ति हैं, स्त्रियों की इज्जत करना चाहिए, इनका सम्मान करना चाहिए,तो मैं पूंछता हूँ जब इज्जत ही करनी थी  सम्मान  ही करना था तो उन्हें नंगा होते हुए क्यों दिखाते हो, उनके कपडे उतारते हुए क्यों दिखाते हो आखिर ये कौनसा तरीका हुआ कि पहले नंगा करो और बाद में उन्हें कपड़े पहनाने जैसी नैतिकता की बातें करो !! 

विवाह के संबंध में कुछ जरूरी बातें :)

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 मेरी समझ कहती हैं विवाह की उम्र लगभग 28 से 30 वर्ष होना चाहिए जिससे व्यक्ति विवाह की उम्र तक पहुँचते,पहुंचते  कई स्त्रियों/पुरुषों से संबंध रख सके जिससे व्यक्ति कई तरह के स्त्री/पुरूषों  को  भलीभांति जान सके समझ सके नये नये लोगों से मिले प्रेम करे हर प्रकार से लोगों को जाने समझे और फिर धीरे धीरे व्यक्ति विवाह करने के लिए सही अर्थों में  योग्य हो जाएगा  फिर व्यक्ति परिस्थितियों को समझने में और दूसरे को समझने में परिपक्क हो जाएगा तत्पश्चात हमें  गहरे अर्थों में विवाह करने का अधिकार हैं  विवाह करने के लिए जबान हो जाना या 18 वर्ष से अधिक का हो जाने से ही व्यक्ति विवाह के योग्य नहीं कहलाता बल्कि अभी तो उसने कुछ भी जाना समझा ही नहीं सही अर्थों में अभी उसे लोगों की समझ ही नहीं बल्कि हमारे समाज में तो लोग जैसे ही कुछ 2 , 4 पैसे कमाने लगते हैं नौकरी करने लगते हैं तो बच्चों के माता पिता उसका विवाह करने को तैयार हो जाते हैं कोई भी माता पिता विवाह से पहले बच्चों से नहीं पूंछता की बेटा अभी तक तुमनें  कभी किसी लड़का/लड़की को थोड़ा बहुत जाना समझा भी हैं या नहीं या  फिर सीधे विवाह के लिए तत्पर हो रहे

कुछ अहसास

प्रिय, हमारे होने से अगर तुम्हें प्रेम की सुगंध दिखाई ना पड़े, प्रेम का अहसास दिखाई ना पड़े, तो समझना मैंने कभी तुमसे प्रेम किया ही नहीं, क्योंकि मैं शब्दों के सहारे दुनिया को तो समझाने में समर्थ हूं, लेकिन तुम्हें नहीं, इसलिए मैं तुमसे जब भी मिलूंगा मौन होकर मिलूंगा शांत होकर मिलूंगा, क्योंकि मैंने बोलने का कार्य सदा से तुम पर छोड़ रखा है ... -💕-