समय के साथ हम सभी के एक दूसरे से रिश्ते खत्म हो जाएंगे ...
समय के साथ हम सभी के एक दूसरे से रिश्ते खत्म हो जाएंगे, सिर्फ यह सोचकर कि उसने मुझे याद नहीं किया तो मैं क्यों उसे याद करूं? उसने मुझे फोन नहीं लगाया तो मैं उसे क्यों लगाऊं ?उसने मुझसे बात नहीं की तो मैं क्यों करूं ?????
:)
जबतक हम लोग अहंकार से भरे है जबतक हमारे भीतर अहंकार जीवित हैं तब तक हमारे अंदर ऐसे ही भाव उठते रहेंगे की पहले मैं ऐसा क्यों करूँ मैं क्यों उससे पहले बात करूँ मैं कहता हूँ अगर आप पहले कदम आंगे बढ़ाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं हैं कुछ भी गलत नहीं हैं
अगर आप किसी व्यक्ति से पहले दो पल प्रेम से बात करलेंगे तो इसमें क्या गलत हैं अगर हम अपने व्यक्तित्व को थोड़ा सा भी विनम्र बनाना सीख जाएं तो उसी दिन हमारा अहंकार हमेशा के लिए समाप्त हो सकता हैं तिरोहित हो सकता है, लेक़िन नहीं हमलोगों ने तो कभी झुकना सीखा ही नहीं
हमें तो लगता हैं कि हमारी नाक कट जाएगी हमारी बेज्जती हो जाएगी इसीलिए मैं कहता हूँ पहले हमें समर्पण का भाव सीखना पड़ेगा अपने व्यक्तित्व को विनम्र बनाना पड़ेगा, प्रेमपूर्ण बनाना पड़ेगा तभी हम अहंकार से सदा के लिए मुक्त हो सकते इससे पहले नहीं
लेकिन कोई समझने को तैयार ही नहीं क्योंकि खुद को विनम्र बनाने प्रेमपूर्ण बनाने से ज्यादा हमलोगों को अपनी झूठी मान प्रतिष्ठा सम्मान की परवाह हैं तो यह सब कैसे संभव हो सकता हैं ...
SAKET 💕
:)
जबतक हम लोग अहंकार से भरे है जबतक हमारे भीतर अहंकार जीवित हैं तब तक हमारे अंदर ऐसे ही भाव उठते रहेंगे की पहले मैं ऐसा क्यों करूँ मैं क्यों उससे पहले बात करूँ मैं कहता हूँ अगर आप पहले कदम आंगे बढ़ाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं हैं कुछ भी गलत नहीं हैं
अगर आप किसी व्यक्ति से पहले दो पल प्रेम से बात करलेंगे तो इसमें क्या गलत हैं अगर हम अपने व्यक्तित्व को थोड़ा सा भी विनम्र बनाना सीख जाएं तो उसी दिन हमारा अहंकार हमेशा के लिए समाप्त हो सकता हैं तिरोहित हो सकता है, लेक़िन नहीं हमलोगों ने तो कभी झुकना सीखा ही नहीं
हमें तो लगता हैं कि हमारी नाक कट जाएगी हमारी बेज्जती हो जाएगी इसीलिए मैं कहता हूँ पहले हमें समर्पण का भाव सीखना पड़ेगा अपने व्यक्तित्व को विनम्र बनाना पड़ेगा, प्रेमपूर्ण बनाना पड़ेगा तभी हम अहंकार से सदा के लिए मुक्त हो सकते इससे पहले नहीं
लेकिन कोई समझने को तैयार ही नहीं क्योंकि खुद को विनम्र बनाने प्रेमपूर्ण बनाने से ज्यादा हमलोगों को अपनी झूठी मान प्रतिष्ठा सम्मान की परवाह हैं तो यह सब कैसे संभव हो सकता हैं ...
SAKET 💕
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