आज और अभी से न हम किसी के और न कोई मेरा :)
आज मैं एक बात पर विचार कर रहा था कि अगर आज मैं मर गया या अचानक से मेरी मृत्यु हो गई तो मेरे जीवन के आखिरी समय में मेरे साथ मेरे म्रत्यु के क्षण में कौन हमारे साथ जाएगा? और यही बात आज मैंने अपनी मांजी से भी पूँछी की मांजी अगर आज मेरी म्रत्यु हो गई तो हमारे साथ आपलोग जाओगे ?
तो पहले उन्होंने कहा कि बेटा ऐसी बातें नहीं करते लेक़िन मैने कहा आप एक बार बताओ तो
तो उन्होंने कहा कि बेटा कोई किसे के साथ नहीं जाता सभी को अकेले ही जाना पड़ता हैं तो मैंने विचार किया हैं जब हमें जाना ही अकेले हैं मरना ही अकेले है
तो फिर इस दुनिया में सिवाय परमात्मा के मेरा कौन हुआ? तो फिर क्या अर्थ हुआ कि मेरा कौन मित्र हैं? कौन माता पिता हैं? कौन मेरे सगे संबंधी हैं कौन मेरे रिश्तेदार हैं?
फिर तो ये सभी दिखाबे के लोग हुए इनका सिर्फ कहने का ही हैं कि मैं तुम्हारे लिए हूँ तुमसे प्रेम करता हूँ
की मैं तुम्हारा मित्र हूँ तुम्हारा पिता हूँ तुम्हारी माँ हूँ कि मैं तुम्हारे बगैरह जी नहीं सकता ?
ऐसे झूठे और दिखाबे के लोगों को अपने जीवन से जोड़कर क्या करूंगा जिनका कोई अर्थ ही नहीं बनता
इसलिए ये बात मेरे लिए कोई साधारण बात नहीं हैं इस बात को लेकर मैं दो दिनों से विचार कर रहा हूँ और इसका जबाब खुद से ही मिल गया जब मुझें मरना अकेले ही हैं तो फिर में अपने जीवन में ये लोगों के दिखाबे के रिश्तों का फालतू कचरा क्यों ढोता फिरूं?
इसलिए मैंने इस बात पर काफ़ी विचार भी करलिया है और वास्तविकता को पूर्णतः समझ भी लिया है इसलिए आज से खुद के साथ ऐसे जीऊंगा जैसे मेरा कोई हैं ही नहीं खुद को ऐसे देखूंगा जैसे मैं अपने जीवन में अकेला हूँ औऱ ये बात पूर्णतः सत्य भी हैं तो फिर अब आंगे का जीवन झूठ पर क्यों जिया जाए ?
इसलिए
आज से न हम किसी के और न कोई मेरा सबकुछ लोगों का एक दिखाबा मात्र है इसलिए अब मैं अपने आंगे का जीवन झूठ के सहारे बिल्कुल भी नहीं जीना चाहता फिर चाहे कोई मुझें कुछ भी समझें लेकिन अब मेरे लिए ये दिखाबे के लोगों का और दिखाबे मात्र के रिश्तों का कोई मूल्य नहीं रहा ...
...💕
तो पहले उन्होंने कहा कि बेटा ऐसी बातें नहीं करते लेक़िन मैने कहा आप एक बार बताओ तो
तो उन्होंने कहा कि बेटा कोई किसे के साथ नहीं जाता सभी को अकेले ही जाना पड़ता हैं तो मैंने विचार किया हैं जब हमें जाना ही अकेले हैं मरना ही अकेले है
तो फिर इस दुनिया में सिवाय परमात्मा के मेरा कौन हुआ? तो फिर क्या अर्थ हुआ कि मेरा कौन मित्र हैं? कौन माता पिता हैं? कौन मेरे सगे संबंधी हैं कौन मेरे रिश्तेदार हैं?
फिर तो ये सभी दिखाबे के लोग हुए इनका सिर्फ कहने का ही हैं कि मैं तुम्हारे लिए हूँ तुमसे प्रेम करता हूँ
की मैं तुम्हारा मित्र हूँ तुम्हारा पिता हूँ तुम्हारी माँ हूँ कि मैं तुम्हारे बगैरह जी नहीं सकता ?
ऐसे झूठे और दिखाबे के लोगों को अपने जीवन से जोड़कर क्या करूंगा जिनका कोई अर्थ ही नहीं बनता
इसलिए ये बात मेरे लिए कोई साधारण बात नहीं हैं इस बात को लेकर मैं दो दिनों से विचार कर रहा हूँ और इसका जबाब खुद से ही मिल गया जब मुझें मरना अकेले ही हैं तो फिर में अपने जीवन में ये लोगों के दिखाबे के रिश्तों का फालतू कचरा क्यों ढोता फिरूं?
इसलिए मैंने इस बात पर काफ़ी विचार भी करलिया है और वास्तविकता को पूर्णतः समझ भी लिया है इसलिए आज से खुद के साथ ऐसे जीऊंगा जैसे मेरा कोई हैं ही नहीं खुद को ऐसे देखूंगा जैसे मैं अपने जीवन में अकेला हूँ औऱ ये बात पूर्णतः सत्य भी हैं तो फिर अब आंगे का जीवन झूठ पर क्यों जिया जाए ?
इसलिए
आज से न हम किसी के और न कोई मेरा सबकुछ लोगों का एक दिखाबा मात्र है इसलिए अब मैं अपने आंगे का जीवन झूठ के सहारे बिल्कुल भी नहीं जीना चाहता फिर चाहे कोई मुझें कुछ भी समझें लेकिन अब मेरे लिए ये दिखाबे के लोगों का और दिखाबे मात्र के रिश्तों का कोई मूल्य नहीं रहा ...
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