कुछ बातें ;)
कुछ वर्षों के बाद जब आपलोग मुझें देखेंगे,मैं अपने जीवन पथ पर हमेशा अकेला चलता हुआ मिलूंगा वहां सिर्फ मेरे अलाबा कोई दूसरा नहीं होगा मैं किसी के साथ दौड़ता नहीं मिलूंगा और न ही आज में औरों की तरह किसी दौड़ का हिस्सा हूँ एक समय था जब मुझें भी औरों की तरह बहुत इक्षायें थी बहुत महत्वकांक्षाएं थी लेकिन जितना जीवन की वास्तविकता को समझता जा रहा हूँ उतना ही अंदर से शून्य होता जा रहा हूँ, क़्योंकि सच कहूँ तो मुझें अपने जीवन कुछ भी नहीं बनना और न ही कहीं पहुंचना हैं और न ही कुछ पाने की चाहत हैं और मुझें मालूम हैं हमारे घर वाले भी मुझें आंगे चलकर स्वीकार नहीं कर सकेंगे खैर इसका जबाब अभी दे पाना मुश्किल होगा और मुझें पता हैं मुझें अपने पथ पर हमेशा अकेला ही चलना पड़ेगा और इसमें कुछ गलत भी नहीं हैं क्योंकि जीवन की ठोकरों ने मुझें इतना मजबूत बना दिया हैं कि जहां भी रहूंगा जैसा रहूंगा खुश रहूंगा फिर भले ही मेरे पास कुछ भी न हो फिर चाहें हमारे साथ कोई भी न हो हालांकि परिवार से हमारा संबंध सिर्फ तब तक हैं जब तक हमारी मांजी जीवित हैं फिर उसके बाद शायद मुझें कोई भी नहीं देख पाएगा मैं हमेशा अंजान बनकर ही...