राम की अग्नि परीक्षा क्यों नहीं होती ???

पूरब की स्त्री गुलाम है उसने कभी यह घोषणा ही नहीं की कि मेरे पास भी आत्मा है वह चुपचाप पुरुष के पीछे चल पड़ती है अगर राम को सीता को फेंक देना है तो सीता की कोई आवाज नहीं है अगर राम कहते हैं कि मुझे शक है तेरे चरित्र पर तो उसे आग में डाला जा सकता है
यह बड़े मजे की बात है यह किसी के ख्याल में कभी नहीं आती कि सीता लंका में बंद थी अकेली थी तो राम को उसके चरित्र पर शक होता है लेकिन सीता को राम के चरित्र पर शक नहीं होता वे इतने दिन अकेले थे अगर अग्नि से गुजरना ही है तो राम को आगे और सीता को पीछे गुजर ना चाहिए।
जैसा कि हमेशा शादी विवाह में राम आगे रहे और सीता पीछे रहीं चक्कर लगाती रहीं फिर आग में घुसते वक्त सीता अकेले आग में चली गई राम बाहर खड़े निरीक्षण करते रहे बड़े धोखे की बात मालूम पड़ती है ! और तीन चार हजार वर्ष हो गए हैं रामायण को लिखे मैं आपसे पहली दफे कह रहा हूं।
यह बात कभी नहीं उठाई गई कि राम की अग्नि परीक्षा क्यों नहीं होती नहीं ?
 पुरुष का तो सवाल ही नहीं है, यह सब सवाल स्त्री के लिए हैं बड़ी अजीब बात मालूम पड़ती हैं ????
स्त्री की कोई आत्मा नहीं उसकी कोई आवाज नहीं फिर अग्नि परीक्षा से गुजरी हुई स्त्री भी एक दिन दूध में से मक्खी की तरह फेक  दी गई तो भी कोई आवाज नहीं है और हिंदुस्तान भर की स्त्रियां राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहे चली जाएंगी;मंदिर में जाकर दिया घुमाती रहेंगी और पूजा करती रहेंगी
तो फिर स्त्रियों के पास कोई आत्मा नहीं है कोई सोच विचार नहीं है सारे हिंदुस्तान की स्त्रियों को कहना था कि बहिष्कार हो गया राम का कितने ही अच्छे आदमी रहे होंगे लेकिन बात खत्म हो गई ।स्त्रियों के  साथ भारी अपमान हो गया भारी असम्मान हो गया
लेकिन राम को स्त्रियां ही जिंदा रखे हैं राम बहुत प्यारे आदमी हैं बहुत अद्भुत आदमी है लेकिन राम को भी है ख्याल पैदा नहीं होता कि वह स्त्री के साथ क्या कर रहे हैं वह हमारी कल्पना में नहीं है वह हमारे ख्याल में नहीं है !!

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