स्त्रियां संभोग से समाधि की जलक अनुभव क्यों नही कर पाती क्या कारण हैं । ?????
कामसूत्र कहता हैं पहले हमारे समाज में बहुत सुंदर व्यवस्था हुआ करती थी जब किसी का विवाह होता था तो पहले उसे कामसूत्र के बारें में सभी प्रकार की शिक्षा दी जाती थी उन्हें संभोग करने के सभी प्रकार के आसनों का ज्ञान दिया जाता था जिससे उनका दाम्पत्य जीवन अच्छा और खुशहाल बना रहें, लेकिन आज बिल्कुल विपरीत कार्य हो रहा हैं लोगों को सेक्स करने के लिए जो सम्बंधित और जो जरूरी आसन हैं उनके बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी ही नहीं पुरुषों को इसका कोई पता ही नहीं कि हमारे देश में वात्स्यायन जैसे महापुरुष ने सेक्स करने के लिए 64 आसनों का वर्णन किया हैं लेकिन आज कौन समझना चाहता हैं लोगों को लगता हैं क्या अब हमें सेक्स करने के लिए भी सीखना पड़ेगा लोगों को लगता हैं हमें सबकुछ आता हैं लेकिन ऐसा सोचना उनकी गलतफेमि हैं, अगर आप किसी पुरुष से संभोग के आसनों के बारें में पूछेंगे तो वह सिर्फ अभी तक एक आसन से परचित हो सका हैं वो हैं स्त्री को नीचें रखना और खुद उसके ऊपर चढ़ जाना और बस अकेला उचकता रहेगा जैसे किसी मखवली गद्दे पर मलक रहा हो और कुछ ही समय में अपनी ऊर्जा नष्ट करदेगा और सो जाएगा पुरुष कभी सोचता ही नहीं कि स्त्री भी संतुष्ट हो सकी है या नहीं उसे इससे कोई मतलब नहीं, स्त्रियों को नीचें रखने का भी एक रहस्यपूर्ण कारण हैं जिसे आपको समझ लेना जरूरी हैं आपलोगों ने कभी ख्याल किया हैं पुरुष कभी भी स्त्री को खुल कर संभोग की चरम सीमा तक सेक्स करने का कभी मौका ही नहीं देता इसीलिए 100 में से एक /दो स्त्रियां ही संभोग से समाधी के अनुभव का सौभाग्य प्राप्त कर पाती हैं कुछ स्त्रियां ही होती हैं जो संभोग की आख़िरी चरम सीमा तक पहुंच पाने में समर्थ हो पाती हैं स्त्रियों के ऊपर पुरूष का चढ़ जाना बिल्कुल भी सही नहीं हैं स्त्रियों का शरिर बहुत कोमल होता हैं बहुत नाज़ुक होता हैं और पुरूष का शरिर बहुत कठोर हैं बहुत मजबूत हैं इसलिए अगर स्त्री को ऊपर रखा जाए और पुरूष नीचे हो और अगर स्त्री को भी सही से मौका दिया जाए तो स्त्रियां अधिक और खुल कर संभोग की चरम सीमा तक पहुँचने में समर्थ हो सकती हैं गहरे आनंद को प्राप्त हो सकती हैं ,और वो अपने चरम सुख और परम संतुष्टि को प्राप्त हो सकती हैं लेकिन इस बात को पुरूष मानने को राजी नहीं ,
और जो हमारे भारत देश में सबसे अधिक प्रचलित आसन हैं वो हैं पुरूष का स्त्री के ऊपर चढ़ जाना और स्त्री को हमेशा नीचें रखना क्योंकि पुरुषों को मालूम हैं अगर स्त्री को अपने ऊपर रखा जाए और खुद नीचें हो तो स्त्री को सेक्स करने में ज्यादा आसानी होती है और जब एक बार स्त्री संभोग की अपनी चरम सीमा पर पहुंचती हैं तो पुरूष उसे एक संभोग में संतुष्ट करने में समर्थ नहीं हो पाता हैं क्योंकि पुरुष एक ही समय में सिर्फ एक बार संभोग कर सकता हैं और स्त्री एक बार में चार से पांच बार संभोग करने में समर्थ हैं इसलिए पुरुष कभी स्त्रियों को अपने ऊपर रखने को तैयार ही नहीं होते क़्योंकि अगर उसने स्त्री को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसके अहंकार को चोट लगती हैं और पुरुषों को कभी झुकना मंजूर नहीं कि हम एक स्त्री से कम पड़ गए खैर बात बहुत लंबी हैं खैर छोड़ो लोगों को इतना समझ पाना बहुत मुश्किल हैं !!
Saket 💕
और जो हमारे भारत देश में सबसे अधिक प्रचलित आसन हैं वो हैं पुरूष का स्त्री के ऊपर चढ़ जाना और स्त्री को हमेशा नीचें रखना क्योंकि पुरुषों को मालूम हैं अगर स्त्री को अपने ऊपर रखा जाए और खुद नीचें हो तो स्त्री को सेक्स करने में ज्यादा आसानी होती है और जब एक बार स्त्री संभोग की अपनी चरम सीमा पर पहुंचती हैं तो पुरूष उसे एक संभोग में संतुष्ट करने में समर्थ नहीं हो पाता हैं क्योंकि पुरुष एक ही समय में सिर्फ एक बार संभोग कर सकता हैं और स्त्री एक बार में चार से पांच बार संभोग करने में समर्थ हैं इसलिए पुरुष कभी स्त्रियों को अपने ऊपर रखने को तैयार ही नहीं होते क़्योंकि अगर उसने स्त्री को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसके अहंकार को चोट लगती हैं और पुरुषों को कभी झुकना मंजूर नहीं कि हम एक स्त्री से कम पड़ गए खैर बात बहुत लंबी हैं खैर छोड़ो लोगों को इतना समझ पाना बहुत मुश्किल हैं !!
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