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Showing posts from May, 2020

विद्यालय में जो शिक्षा दी जा रही है वो लोगों को पड़ा लिखा गमार बना रही हैं...

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Photo by Max Fischer  शिक्षित और पड़े लिखे लोगों को देखकर मुझें शिक्षा से नफरत होती जा रही है की कम से कम जो व्यक्ति शिक्षित नहीं होता तो वो ह्रदय से निर्मल तो होता है निरहंकारी तो होता है उसमें अकड़ तो नहीं होती अपने से बड़ो के प्रति सम्मान का भाव तो रखता है तो  क्या इतना ही काफी नहीं हैं लेकिन जब मैं किसी शिक्षित व्यक्ति को देखता हूँ पड़े लिखें व्यक्ति को देखता हूँ तो वो  दो कौड़ी की कुछ  दस बारह मैं 90 , 95 प्रतिशत बना लेने या कुछ डिग्रीयों को प्राप्त करलेने से या कुछ दो चार प्रमाण पत्र हांसिल करलेने से वो सोचता है कि मैं शिक्षित हो गया पड़ लिख गया लेकिन होता इसका विपरीत है  जो व्यक्ति जितना अधिक पढ़ लिख जाता है वो उतना ही अहंकार और अपूर्व अकड़ से भरता चला जाता क्योंकि जो शिक्षा हमें दी जा रही है वो शिवाय महत्वकांशी बनाने एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करना एक दूसरे को दबाकर आंगे बढ़ने के अलाबा और कुछ भी नहीं सिखा रही है  क्योंकि पिछले तीन वर्षों में जबसे में घर आया हूँ तबसे मैने भी बहुत कुछ इसतरह की झलक देखी है लेकिन आज मैं बेसा बिल्कुल भी नहीं रहा जैसा विद्यालय से निकलते समय था क्योंकि जो

शांति से भोजन करना सीखें ...

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आपलोगों ने ख्याल किया हमलोग पैसा किसलिए कमाते हैं क्यों धन दोलत इकट्ठी करते हैं इसलिए करते है कि हमारे जीवन की ज़रूरते पूरी हो सके और दो वक्त का  ठीक से भोजन मिल सके लेकिन मैने कई लोगों को देखा है कि लोग भोजन भी आराम से नहीं करते  एक हाथ से भोजन करते जा रहे है और दूसरे से मोबाइल चलाते जा रहे है एक तरफ़ तो भोजन कर रहे है और दूसरी तरफ़ दूसरों से बातचीत कर रहे है भोजन पर तो उसका कोई ध्यान ही नहीं है भोजन के स्वाद का तो उसे कोई ख्याल ही नहीं बल्कि उसका भोजन पे ध्यान न होकर  और दूसरे कामों पर ध्यान है मुझें आश्चर्य होता है कि लोग कुछ समय पूर्णतः भोजन के साथ नहीं हो पाते दिन भर में हम भोजन करते ही कितनी बार है ज़्यादा से ज़्यादा दो से तीन बार और उसी समय में साथ में अन्य काम करते रहते है जिसके लिए इतनी महनत कर रहे हो अपना खून पसीना एक कर रहे हो अगर वही आराम से नहीं कर सकते तो क्या अर्थ है कुछ भी करने का कुछ तो इतनी तीव्र गति से भोजन करेंगे जैसे उनकी कोई ट्रैन छूटी जा रही है और अगर छूटती भी हो तो छूट जाने दो लेकिन भोजन को जल्दी बाजी में करने का क्या मतलब है और जब मैं कहता हूँ कि भोजन करने